हिन्दी में विज्ञान लेखन कार्यशाला कल से


अगस्त, 2012,! लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की उत्कृष्ट योजना के अन्तर्गत दिनांक 1 और 2 सितम्बर, 2012 को दो दिवसीय ‘हिन्दी में विज्ञान लेखन’ कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में किया जा रहा है।
हिन्दी भाषा के माध्यम से विज्ञान लेखन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने ‘हिन्दी में विज्ञान लेखन’ कार्यशाला का आयोजन किया है। विज्ञान जीवन के हर क्षेत्र में प्रसांगिक हो गया हैं इसलिए विज्ञान की सम्यक समझ हेतु क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से विज्ञान का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक होता जा रहा है। संस्कृति और भाषा का गहरा सम्बन्ध होता है। इसी सम्बन्ध के नाते वैज्ञानिकों की मूल सोच, परिकल्पना उनकी अपनी मात्र भाषा में ही उद्भासित होती है। तकनीकी विकास में भाषाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। विज्ञान लेखक और संचारक दोनो का दायित्व है कि विज्ञान को सरल ढ़ग से आम जनता तक ले जाएँ। विश्व में ज्ञान के व्यापीकरण हेतु विज्ञान का प्रचार-प्रसार क्षेत्रीय भाषाओं में अनिवार्य हो गया है।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है कि प्रत्येक प्रशिक्षु को हिन्दी भाषा के माध्यम से विज्ञान लेखन का प्रशिक्षण व्यावहारिक रूप में दिया जाए। इस कार्यशाला में विज्ञान परिषद इलाहाबाद के वैज्ञानिक डा0 दिनेश मणि, के अतिरिक्त डा जे0के0 जौहरी और आनंद कुमार अखिला, प्रो0 महेन्द्र सिंह सोढ़ा, प्रो0 सूर्यप्रसाद दीक्षित, डा0 महेन्द्रप्रताप सिंह, डा0 प्रदीप श्रीवास्तव, प्रो0 कृष्ण गोपाल दुबे, डा0 सी0एम0 नौटियाल, प्रो0 ए0के0 शमार्, डा0 जाकिर अली रजनीश, डा0 ध्रुवसेन सिंह, प्रो0 नदीम हसनैन और प्रोफेसर भूमित्र देव जैसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकां द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। कार्यषाला में प्रषिक्षण के विषय हैं- हिन्दी में विज्ञान लेखन का विकास, जैविक नियंत्रण और पर्यावरण हितैषी विधि, स्वास्थ्य और प्रसन्नता, हिन्दी में विज्ञान का स्वरूप, हिन्दी में पर्यावरण बदलाव और ग्लोबल वार्मिंग, हिन्दी मंे वैज्ञानिक शोध लेखन तकनीक, मीडिया मंें लेखन प्रविधि, हिन्दी की वैज्ञानिक शब्दावली, सर्जनात्मक साहित्य में विज्ञान लेखन, जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक या मानव जनिक, हिन्दी में मानव विज्ञान लेखन की समस्याएँ और हिन्दी में विज्ञान लेखन की समस्याएं और संभावनाएं  आदि।
कार्यशाला के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता कगे- लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज कुमार मिश्र और कार्यषाला के मुख्य अतिथि हांेगे- देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर, लखनऊ विश्वविद्यालय और बरखतउल्ला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति-प्रो0 महेन्द्र सिंह सोढ़ा।

Comments

Popular posts from this blog

समीक्षा:जनजीवन की महागाथा है नमिता सिंह की ‘जंगल गाथा’/डॉ.धर्मेन्द्र प्रताप सिंह - Apni Maati Quarterly E-Magazine

शारीरिक क्षमताओं का विस्तार है इलेक्ट्रानिक मीडिया

शोध कार्य को पूर्ण करने के लिए प्रासंगिकता और प्रमाणिकता जरूरी