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Showing posts from September, 2012

जन माध्यमों का चुनाव विज्ञापनों की सबसे बड़ी चुनौती

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16 सितम्बर, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत दो दिवसीय ‘प्रिन्ट मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला’ का समापन आज दिनांक 16 सितम्बर, 2012 को लखनऊ विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में किया गया। कार्यशाला के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने समाचार लेखन की प्रक्रिया और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। हिन्दुस्तान समूह के एशोसियेट एडीटर श्री हरजिन्दर ने बताया कि समाचार लेखन का कार्य, कहानी लेखन की तरह किया जाता है। कहानी में भी पात्र, परिस्थितियां होती हैं और पत्रकारिता में भी। किन्तु कहानी में कल्पना का तत्व विद्यमान होता है और पत्रकारिता मे यथार्थ का तत्व। समाचार लिखने के लिए अभ्यास करना बहुत आवश्यक होता है। उन्होंने अच्छा समाचार लिखने का तरीका बताते हुए कहा कि ऐसे शब्दों का चुनाव करें जो आठ अक्षरों से अधिक न हों, एक वाक्य में आठ शब्द से अधिक शब्द न हों, एक पैराग्राॅफ में आठ वाक्य से ज्यादा वाक्य न हों तथा एक स्टोरी में आठ पैराग्राफ से ज्यादा पैराग्राफ न हों। हर वाक्य पहले वाक्य से जुड़ा होना चाहिए

पत्रकारिता शिक्षा समाज को रास्ता दिखाने के लिए है न कि आजीविका के लिए

लखनऊ 15 सितम्बर, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत आज दिनांक 15 सितम्बर, 2012 को दो दिवसीय ‘प्रिन्ट मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला’ का उद्घाटन लखनऊ विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में किया गया।     उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो0 सरला शुक्ल ने कहा कि त्याग और तपस्या का दूसरा नाम ही पत्रकारिता है। स्वतंत्रता के पूर्व से ही हिन्दी पत्रकारिता को बहुत ही संघर्ष करना पड़ा तब आज पत्रकारिता इस आधुनिक स्वरूप में है। पत्रकारिता से ही हिन्दी भाषा का स्वरूप बन और बिगड़ रहा है। आज पत्रकारिता भाषा को नया आयाम देते हुए समाज को नई दिशा दे रही है। पत्रकार का दायित्व सिर्फ सूचना संग्रह करना ही नहीं है उसके द्वारा उसे उचित और अनुचित बातों को अलग करना भी है। पहले पत्रकारिता का व्यावसाय उद्योगपतियों द्वारा किया जाता था परन्तु आज राजनीतिज्ञों द्वारा पत्रकारिता का व्यावसाय किया जा रहा है जिससे पत्रकारिता दिशाहीन हो रही है और निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं हो पा रह

प्रिन्ट मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला

लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत दिनांक 15 और 16 सितम्बर 2012 को दो दिवसीय प्रिन्ट मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में किया जा रहा है। प्रिन्ट मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला का स्वागत भाषण प्रो0 कैलाश देवी सिंह अध्यक्ष हिन्दी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा किया जायेगा। कार्यशाला में मुख्य अतिथि का उद्बोधन श्रीयुत् नवीन जोशी कार्यकारी संपादक, हिन्दुस्तान, विशिष्ट अतिथि का उद्बोधन श्री हरजिन्दर, एसोसिएट एडीटर, हिन्दुस्तान समूह, नई दिल्ली तथा विशिष्ट समागत-श्रीयुत् दिलीप अवस्थी, स्थानीय, संपादक दैनिक जागरण लखनऊ और अध्यक्षीय उद्बोधन-प्रो0 सरला शुक्ल, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा किया जायेगा। कार्यशाला के माध्यम से प्रिन्ट मीडिया की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने ‘प्रिन्ट मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला’ का आयोजन किया है। जीवन के हर क्षेत्र मंे मीडिया प्रसंागिक हो गया है, इसलि

पी-एच0डी0 की मौखिकी सम्पन्न

03 सितम्बर, 2012। हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में श्री शोभालाल मौर्या की पी-एच0डी0 की मौखिक परीक्षा सम्पन्न हो गया। मौर्या जी ने ‘गुरु प्रसाद सिंह ‘मृगेश’ के काव्य में लोक संस्कृति’ विषय पर प्रो0 हरिशंकर मिश्र के निर्देशन में अपना शोध कार्य पूर्ण किया।

अभिव्यक्ति का सर्वोच्च माध्यम हिन्दी भाषा

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लखनऊ: 02 सितम्बर, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की ‘‘उत्कृष्ट केन्द्र योजना’’ के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय ‘हिन्दी में विज्ञान लेखन’ कार्यशाला के दूसरे दिन तृतीय सत्र मंे प्रो0 कृष्ण गोपाल दुबे ने हिन्दी में वैज्ञानिक शोध लेखन तकनीक के बारे में बताते हुए कहा कि शोध लेखन में वैज्ञानिक सोच होना बहुत आवश्यक है बिना इसके किसी भी शोध में प्रमाणिकता नहीं आ सकती है। विषयों मंे व्यापकता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि विज्ञान में शोध हेतु विषयों की व्यापकता है किन्तु वह हिन्दी में नहीं है जिसके कारण आम जनमानस के बीच उपस्थित नहीं है।     प्रो0 दुबे ने कहा कि सोच समझकर लिखना चाहिए नहीं तो शब्दों का गलत अर्थ वाक्य को गलत कर देगा। देश में 90 प्रतिशत लोग हिन्दी जानते हैं फिर भी हम भरोसा अमेरिका पर करते हैं यह दुखद है। उन्होंने कहा कि विज्ञान में विषयों की भरमार है जिससे शोधार्थी को विषय के चयन में सहजता रहती है और शोध करने मंे किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि शोध पत्र मंे सारांश जरूरी है क्यांेकि सारांश में श

विज्ञान और हिन्दी के सामन्जस्य से ही आम व्यक्ति का विकास संभव

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                                           लखनऊ : 18 अगस्त, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की ‘‘उत्कृष्ट केन्द्र योजना’’ के अंतर्गत दो दिवसीय ‘हिन्दी में विज्ञान लेखन’ कार्यशाला का उद्घाटन आज ए0पी0 सेन सभागार मंे हुआ।     कार्यशाला का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। अतिथियों का स्वागत हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो0 कैलाश देवी सिंह ने पुष्पगुच्छ देकर किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 हेमांशु सेन ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 रविकान्त ने किया।     उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मनोज कुमार मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालयों के अधिकतर छात्र हिन्दी माध्यम से होते हैं, उनके लिए हिन्दी लेखन की बहुत आवश्यकता है। प्रो0 मिश्र ने कहा कि हिन्दी के विद्यार्थी हिन्दी में ही सोचते और समझते हैं अतः आवश्यकता इस बात की है कि उन छात्रों के लिए विज्ञान की पुस्तकें हिन्दी में लिखी जाएं। उन्होंने कहा कि विज्ञान ही हमारे देश को आगे ले जायेगा। ग्रामीण क्षेत्र के बहुतेरे ऐसे छात्र हैं