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वैचारिकता की ओर ले जाने वाले रचनाकार हैं राहुल सांकृत्यायन

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राहुल सांकृत्यायन न सिर्फ हिन्दी साहित्य और भारतीय साहित्य अपितु विश्व साहित्य में मौलिक चिन्तन, सृजनशीलता एवं भविष्यद्रष्टा के रूप में जाने जाते हैं। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उक्त विचार जाने माने पर्यावरणविद् वरिष्ठ आचार्य और कहार पत्रिका के संपादक डाॅ0 आर0 पी0 सिंह ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा। आगे बोलते हुए प्रो0 सिंह ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन कामकाजी फलक से  वैचारिकता की ओर ले जाने वाले रचनाकार हैं। विज्ञान प्रत्यक्ष रूप से मानव समाज से जुड़ा हुआ है और साहित्य परोक्ष रूप से मानव के लिए कल्याणकारी है। उन्होंने सांकृत्यायन के कहानी संग्रह ‘वोल्गा से गंगा’ का उल्लेख करते हुए जातियों के विकास की प्रमाणिक तस्वीर प्रस्तुत की। इसके साथ ही लोक भाषा के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए जनमानस की भाषा में ही वार्तालाप करने के लिए प्रेरित किया।  गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी विभाग के समन्वयक डाॅ0 रिपु सूदन सिंह ने कहा कि भूमण्डलीकरण से उत्पन्न इस बाजारी सभ्यता के चकाचैंध में राहुल जी को याद करना विचारशून्यता, सौन्दर्य और असंवेदनशीलता के मरूस्थल में किसी शीतल जलखण्ड को पाने की