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वैचारिकता की ओर ले जाने वाले रचनाकार हैं राहुल सांकृत्यायन

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राहुल सांकृत्यायन न सिर्फ हिन्दी साहित्य और भारतीय साहित्य अपितु विश्व साहित्य में मौलिक चिन्तन, सृजनशीलता एवं भविष्यद्रष्टा के रूप में जाने जाते हैं। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए उक्त विचार जाने माने पर्यावरणविद् वरिष्ठ आचार्य और कहार पत्रिका के संपादक डाॅ0 आर0 पी0 सिंह ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा। आगे बोलते हुए प्रो0 सिंह ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन कामकाजी फलक से  वैचारिकता की ओर ले जाने वाले रचनाकार हैं। विज्ञान प्रत्यक्ष रूप से मानव समाज से जुड़ा हुआ है और साहित्य परोक्ष रूप से मानव के लिए कल्याणकारी है। उन्होंने सांकृत्यायन के कहानी संग्रह ‘वोल्गा से गंगा’ का उल्लेख करते हुए जातियों के विकास की प्रमाणिक तस्वीर प्रस्तुत की। इसके साथ ही लोक भाषा के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए जनमानस की भाषा में ही वार्तालाप करने के लिए प्रेरित किया।  गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए हिन्दी विभाग के समन्वयक डाॅ0 रिपु सूदन सिंह ने कहा कि भूमण्डलीकरण से उत्पन्न इस बाजारी सभ्यता के चकाचैंध में राहुल जी को याद करना विचारशून्यता, सौन्दर्य और असंवेदनशीलता के मरूस्थल में किसी शीतल जलखण्ड को पाने की

समीक्षा:जनजीवन की महागाथा है नमिता सिंह की ‘जंगल गाथा’/डॉ.धर्मेन्द्र प्रताप सिंह - Apni Maati Quarterly E-Magazine

समीक्षा:जनजीवन की महागाथा है नमिता सिंह की ‘जंगल गाथा’/डॉ.धर्मेन्द्र प्रताप सिंह - Apni Maati Quarterly E-Magazine

राष्ट्रीय संगोष्ठी, हिन्दी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय

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शारीरिक क्षमताओं का विस्तार है इलेक्ट्रानिक मीडिया

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लखनऊ 07 अक्टूबर, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत आज दो दिवसीय इलेक्ट्रानिक मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन लखनऊ विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में हुआ। कार्यशाला के तृतीय तकनीकी सत्र में साहित्यकार एवं मीडिया विशेषज्ञ उषा सक्सेना ने कहा कि रेडियो शब्दों का माध्यम है जिससे अंधों का थियेटर कहा जाता है। यहां सुनना, देखना, रोना, हंसना सभी क्रियायें, वस्त्र, साज-सज्जा, मौसम शब्दों के द्वारा ही बताये जाते हैं। रेडियो नाटक लिखने के लिए अनिवार्य है कि सर्वप्रथम हम अपने लक्ष्य श्रोताओं के वर्ग विशेष को पहचाने। यह ध्यान रखने योग्य है कि रेडियो पर दृश्य सज्जा का कार्य संगीत और ध्वनि के माध्यम से किया जाता है। अतः दृश्यों को गतिशील बनाने के लिए संगीत का चुनाव आवश्यक है। मीडिया विशेषज्ञ राकेश निगम ने विकास संचार के बारे में बताते हुए कहा कि आज विकास संचार ने मानव जाति को आधुनिक बना दिया है। मीडिया का सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव होना चाहिए। श्री निगम ने कहा कि कार्यक्रमों के निर

समाचार के प्रस्तुतीकरण में संयमित भाषा जरूरी

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लखनऊ 06 अक्टूबर, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत आज दो दिवसीय इलेक्ट्रानिक मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन लखनऊ विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में हुआ। कार्यशाला के अध्यक्ष माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रो0 रामजी त्रिपाठी ने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया एक विशेष धारा है जिसमें अनन्त संभावनाएं हैं। इसमें कार्य करने के लिए जुनून की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि आज इलेक्ट्रानिक चैनलों पर जो कार्यक्रम दिखाये जाते हैं उन कार्यक्रमों को परिवार के साथ बैठकर नहीं देखा जा सकता है यह दुखद है। इसमें किसी प्रकार की आचार संहिता नहीं है जिससे इन पर अंकुश लगाना मुश्किल है लेकिन अपनी सोच से फूहड़ कार्यक्रमों को रोका जा सकता है। आज बड़े व्यावसायी या राजनेता चैनल तो स्थापित कर ले रहे हैं परन्तु वह चैनल को चलाने हेतु अपनी संस्कृति को छोड़कर नकारात्मक कार्यक्रमों को प्रसारित कर रहे हैं ताकि उनका चैनल प्रतिस्पर्धा में आगे ह

इलेक्ट्रानिक मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला

लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत दिनांक 06 और 07 अक्टूबर 2012 को दो दिवसीय इलेक्ट्रानिक मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में किया जा रहा है। इलेक्ट्रानिक मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला का स्वागत भाषण प्रो0 कैलाश देवी सिंह अध्यक्ष हिन्दी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा किया जायेगा। कार्यशाला में अध्यक्षीय उद्बोधन- प्रो0 बी0 के0 कुठियाला, कुलपति, (माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता, विश्वविद्यालय, भोपाल, मध्यप्रदेश), मुख्य अतिथि का उद्बोधन श्रीयुत् रामजी त्रिपाठी, प्रोफेसर, इलेक्ट्रानिक मीडिया (माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल, मध्यप्रदेश) विशिष्ट अतिथि का उद्बोधन डाॅ0 सतीश ग्रोवर, पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक(दूरदर्शन,लखनऊ केन्द्र) तथा विशिष्ट समागत- श्री मुकेश कुमार, चैनल प्रमुख, (न्यूज एक्सपे्रस, नई दिल्ली),श्रीयुत् हितेश शंकर, उप सम्पादक(हिन्दुस्तान,नई दिल्ली)और विषय परिवर्तन प्रो0सूर्यप्रसाद दीक्षित, (कृतकार्य आचा

जन माध्यमों का चुनाव विज्ञापनों की सबसे बड़ी चुनौती

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16 सितम्बर, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत दो दिवसीय ‘प्रिन्ट मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला’ का समापन आज दिनांक 16 सितम्बर, 2012 को लखनऊ विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में किया गया। कार्यशाला के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने समाचार लेखन की प्रक्रिया और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। हिन्दुस्तान समूह के एशोसियेट एडीटर श्री हरजिन्दर ने बताया कि समाचार लेखन का कार्य, कहानी लेखन की तरह किया जाता है। कहानी में भी पात्र, परिस्थितियां होती हैं और पत्रकारिता में भी। किन्तु कहानी में कल्पना का तत्व विद्यमान होता है और पत्रकारिता मे यथार्थ का तत्व। समाचार लिखने के लिए अभ्यास करना बहुत आवश्यक होता है। उन्होंने अच्छा समाचार लिखने का तरीका बताते हुए कहा कि ऐसे शब्दों का चुनाव करें जो आठ अक्षरों से अधिक न हों, एक वाक्य में आठ शब्द से अधिक शब्द न हों, एक पैराग्राॅफ में आठ वाक्य से ज्यादा वाक्य न हों तथा एक स्टोरी में आठ पैराग्राफ से ज्यादा पैराग्राफ न हों। हर वाक्य पहले वाक्य से जुड़ा होना चाहिए