अभिव्यक्ति का सर्वोच्च माध्यम हिन्दी भाषा
लखनऊ: 02 सितम्बर, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की ‘‘उत्कृष्ट केन्द्र योजना’’ के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय ‘हिन्दी में विज्ञान लेखन’ कार्यशाला के दूसरे दिन तृतीय सत्र मंे प्रो0 कृष्ण गोपाल दुबे ने हिन्दी में वैज्ञानिक शोध लेखन तकनीक के बारे में बताते हुए कहा कि शोध लेखन में वैज्ञानिक सोच होना बहुत आवश्यक है बिना इसके किसी भी शोध में प्रमाणिकता नहीं आ सकती है। विषयों मंे व्यापकता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि विज्ञान में शोध हेतु विषयों की व्यापकता है किन्तु वह हिन्दी में नहीं है जिसके कारण आम जनमानस के बीच उपस्थित नहीं है। प्रो0 दुबे ने कहा कि सोच समझकर लिखना चाहिए नहीं तो शब्दों का गलत अर्थ वाक्य को गलत कर देगा। देश में 90 प्रतिशत लोग हिन्दी जानते हैं फिर भी हम भरोसा अमेरिका पर करते हैं यह दुखद है। उन्होंने कहा कि विज्ञान में विषयों की भरमार है जिससे शोधार्थी को विषय के चयन में सहजता रहती है और शोध करने मंे किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि शोध पत्र मंे सारांश जरूरी है क्यांेक...
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