लखनऊ 07 अक्टूबर, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत आज दो दिवसीय इलेक्ट्रानिक मीडिया प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन लखनऊ विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में हुआ। कार्यशाला के तृतीय तकनीकी सत्र में साहित्यकार एवं मीडिया विशेषज्ञ उषा सक्सेना ने कहा कि रेडियो शब्दों का माध्यम है जिससे अंधों का थियेटर कहा जाता है। यहां सुनना, देखना, रोना, हंसना सभी क्रियायें, वस्त्र, साज-सज्जा, मौसम शब्दों के द्वारा ही बताये जाते हैं। रेडियो नाटक लिखने के लिए अनिवार्य है कि सर्वप्रथम हम अपने लक्ष्य श्रोताओं के वर्ग विशेष को पहचाने। यह ध्यान रखने योग्य है कि रेडियो पर दृश्य सज्जा का कार्य संगीत और ध्वनि के माध्यम से किया जाता है। अतः दृश्यों को गतिशील बनाने के लिए संगीत का चुनाव आवश्यक है। मीडिया विशेषज्ञ राकेश निगम ने विकास संचार के बारे में बताते हुए कहा कि आज विकास संचार ने मानव जाति को आधुनिक बना दिया है। मीडिया का सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव होना चाहिए। श्री निगम ने कहा कि कार्यक्रमों के निर
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