दो दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला

17 अगस्त, 2012। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन की उत्कृष्ट केन्द्र योजना के अन्तर्गत दिनांक दिनांक 18 व 19 अगस्त, 2012 को दो दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के ए0पी0 सेन सभागार में किया जा रहा है।
 उत्कृष्ट शोध की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हिन्दी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने शोध प्रविधि कार्यशाला का आयोजन किया है। शोध की प्रवृत्ति वस्तुतः एक सहज प्रवृत्ति है। ज्ञान की उपासना जब से चली तब से उसके साथ ही शोध की प्रवृत्ति भी चली। शोध उच्च शिक्षा का एक महत्वपूर्ण तत्व है। विश्वविद्यालय जो ज्ञान के अधिवास माने जाते हैं उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वहां से प्रमाणिक और ऐसे उच्च गुणवत्ता वााले शोध लोग करते रहेेंगे जिसका समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े। पठन-पाठन और शोध का संबंध इस तरह से जुड़ा होना चाहिए कि वह विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कार्यक्रम में प्रासंगिक भी हों।
 कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है कि प्रत्येक प्रशिक्षु शोध प्रविधि की प्रारंभिक प्रक्रिया साहित्य में सर्वे के लिए इलेक्ट्राॅनिक माध्यमों के उपयोग को समझ सके। शोध-कार्य पूर्ण करने के लिए सही शोध-प्रविधि का चयन व डाटा एकत्रित करने के लिए सही समुचित उपकरण का प्रयोग कर सके। वर्तमान समय में शोध-प्रविधि के नवीन स्वरूप, साफ्टवेयर प्रयोग, शोध प्रारूप, शोध कार्य से लाभ तथा शोध प्रविधि पर ब्लाग के विकास की जानकारी दी जायेगी।
 कार्यशाला के प्रथम सत्र में शोध का स्वरूप और विकास, अंतर्वस्तु विश्लेषण और हिन्दी साहित्य तथा शोध की नूतन प्रविधियां बताई जायेंगी व द्वितीय सत्र में प्रशिक्षुओं को प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जायेगा।
 कार्यशाला की मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कला संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो0 रश्मि पाण्डेय हैं जबकि कार्यशाला की अध्यक्षता पत्रकारिता एवं हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित करेंगे।

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शोध कार्य को पूर्ण करने के लिए प्रासंगिकता और प्रमाणिकता जरूरी